NIOS Class 10 Hindi Chapter 1
जब बहादुर को अपने घर की याद आती थी, तो वह अक्सर अपने पुराने फोटो एल्बम को देखता, परिवार के साथ बिताए पलों को याद करता और उन सुनहरे दिनों की खुशियों में खो जाता। यह उसे सुकून देता था।
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जब बहादुर को अपने घर की याद आती थी तो वह अपनी जेब से कुछ चीज़ें निकलकर अपने बिस्तरे पर सजा देता था। कुछ गोलियाँ, पुराने ताश की एक गड्डी, कुछ ख़ूबसूरत पत्थर के टुकड़े, ब्लेड, कागज़ की नावें। वह कुछ देर तक उनसे खेलता था। उसके बाद वह धीमे-धीमे स्वर में गुनगुनाने लगता था। उन पहाड़ी गानों का अर्थ हम समझ नहीं पाते थे, पर उनकी मीठी उदासी सारे घर में फैल जाती, जैसे कोई पहाड़ की निर्जनता में अपने किसी बिछुड़े हुए साथी को बुला रहा हो।