NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता का संदेश और मेरी प्रतिक्रिया:
प्रकृति प्रेम: कवि, जयशंकर प्रसाद, प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। वे चांदनी रात में खिली बेर के फूल की सुंदरता का बारीकी से वर्णन करते हैं, जो प्रकृति के चमत्कार और विस्मय का प्रतीक है।
नारीत्व का सौंदर्य: कवि, बेर के फूल को एक सुंदर नारी के रूप में रूपकित करते हैं। वे उसकी कोमलता, मादकता और आकर्षण का चित्रण करते हैं। चांदनी में नहाया हुआ फूल, स्त्रीत्व की चमक और शोभा का प्रतीक बन जाता है।
क्षणभंगुरता: कवि, फूल के शीघ्र मुरझाने पर भी ध्यान देते हैं। यह प्रकृति के चक्र और जीवन की क्षणभंगुरता का प्रतीक है। फूल का जीवन संसार की नश्वरता और सौंदर्य की क्षणभंगुरता की याद दिलाता है।
आशावाद: इसके बावजूद, कविता में आशावाद का संदेश भी निहित है। मुरझाए हुए फूल के स्थान पर नए फूल खिलेंगे, जो जीवन के नवीकरण और सतत परिवर्तन का प्रतीक हैं।
मैं ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता के संदेश से बहुत प्रभावित हूं। प्रसाद जी ने प्रकृति और स्त्री सौंदर्य का अद्भुत चित्रण किया है। कविता में प्रयुक्त भाषा सरल और सुंदर है, जो भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है।
हालांकि, मैं कविता के क्षणभंगुरता के पहलू से पूरी तरह सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि यद्यपि जीवन क्षणभंगुर है, फिर भी हम हर पल का आनंद ले सकते हैं और सार्थक जीवन जी सकते हैं।
कुल मिलाकर, ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ हिंदी साहित्य की एक उत्कृष्ट कृति है जो प्रकृति, सौंदर्य और जीवन के बारे में गहरे विचारों को प्रेरित करती है।
‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता का संदेश और मेरी प्रतिक्रिया:
प्रकृति प्रेम: कवि, जयशंकर प्रसाद, प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। वे चांदनी रात में खिली बेर के फूल की सुंदरता का बारीकी से वर्णन करते हैं, जो प्रकृति के चमत्कार और विस्मय का प्रतीक है।
नारीत्व का सौंदर्य: कवि, बेर के फूल को एक सुंदर नारी के रूप में रूपकित करते हैं। वे उसकी कोमलता, मादकता और आकर्षण का चित्रण करते हैं। चांदनी में नहाया हुआ फूल, स्त्रीत्व की चमक और शोभा का प्रतीक बन जाता है।
क्षणभंगुरता: कवि, फूल के शीघ्र मुरझाने पर भी ध्यान देते हैं। यह प्रकृति के चक्र और जीवन की क्षणभंगुरता का प्रतीक है। फूल का जीवन संसार की नश्वरता और सौंदर्य की क्षणभंगुरता की याद दिलाता है।
आशावाद: इसके बावजूद, कविता में आशावाद का संदेश भी निहित है। मुरझाए हुए फूल के स्थान पर नए फूल खिलेंगे, जो जीवन के नवीकरण और सतत परिवर्तन का प्रतीक हैं।
मैं ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता के संदेश से बहुत प्रभावित हूं। प्रसाद जी ने प्रकृति और स्त्री सौंदर्य का अद्भुत चित्रण किया है। कविता में प्रयुक्त भाषा सरल और सुंदर है, जो भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है।
हालांकि, मैं कविता के क्षणभंगुरता के पहलू से पूरी तरह सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि यद्यपि जीवन क्षणभंगुर है, फिर भी हम हर पल का आनंद ले सकते हैं और सार्थक जीवन जी सकते हैं।
कुल मिलाकर, ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ हिंदी साहित्य की एक उत्कृष्ट कृति है जो प्रकृति, सौंदर्य और जीवन के बारे में गहरे विचारों को प्रेरित करती है।