ख़ून की उल्टियाँ करते… अपने घर के पिछवाड़े, पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री- NIOS Class 10 Hindi Chapter 14
NIOS Class 10 Hindi Chapter 14 बूढ़ी पृथ्वी का दुख
कवियित्री “ख़ून की उल्टियाँ करते… अपने घर के पिछवाड़े” पंक्तियों के माध्यम से गहरी पीड़ा और दुःख का चित्रण करती हैं। यह पंक्तियाँ न केवल शारीरिक कष्ट को दर्शाती हैं, बल्कि समाज में व्याप्त हिंसा और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न मानसिक आघात को भी उजागर करती हैं। कवयित्री इस स्थिति के माध्यम से मानवता की करुणा और संवेदनशीलता को जगाने का प्रयास करती हैं, जिससे पाठक को इस गंभीर मुद्दे पर सोचने और महसूस करने का अवसर मिलता है।
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(क) ‘ख़ून की उल्टियाँ करते… अपने घर के पिछवाड़े’ पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री- चंद लोगों के विकास की यातना झेलने वाले वर्ग की पीड़ा का संकेत करती है।