NIOS Class 10 Hindi Chapter 17
‘जाग री’ कविता में यह शब्द एक सोई हुई सखी के लिए आया है, जिसे कवि जगाना चाहता है। कवि उसकी नींद से जागने का आग्रह करता है ताकि वह प्रकृति के नए रूप और सुबह की सुंदरता का आनंद ले सके। यह जागरण केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता का प्रतीक भी है। कवि चाहता है कि उसकी सखी अपने दुखों को भुलाकर, जीवन की नई ऊर्जा से जुड़कर आगे बढ़े और समाज में सक्रिय भूमिका निभाए।
कविता “बीती विभावरी जाग री” में “जाग री” सम्बोधन एक प्रेयसी या सखी के लिए आया है। कवि उसे इसलिए जगाना चाहता है क्योंकि:
प्रकृति जाग चुकी है:
कवि प्रेयसी को याद दिलाता है कि तारे छिप चुके हैं, भोर हो चुकी है, पक्षी गा रहे हैं, और हवा चल रही है। प्रकृति के जागने का यह सुंदर समय है, और प्रेयसी को भी इस सौंदर्य का आनंद लेना चाहिए।
नींद व्यर्थ गंवा रही है:
कवि का मानना है कि प्रेयसी अपनी नींद में जीवन के अनमोल क्षणों को व्यर्थ गंवा रही है। जब चारों ओर प्रकृति सजग और जीवंत है, तो वह सो क्यों रही है?
उसके सौंदर्य का प्रदर्शन करने का समय आ गया है:
कवि प्रेयसी की सुंदरता की तुलना प्रकृति से करता है। जैसे-जैसे सूरज उगता है, वैसे-वैसे प्रेयसी का सौंदर्य भी खिलता है। कवि चाहता है कि वह उठे और अपनी सुंदरता को जगमगाए।
प्रेम का आनंद लेने का समय है:
सुबह का समय प्रेम का आनंद लेने का होता है। कवि प्रेयसी को जगाकर उसके साथ प्रेम के पल बिताना चाहता है।
इस प्रकार, “जाग री” का प्रयोग प्रेयसी को जगाने और उसे प्रकृति के सौंदर्य, जीवन के आनंद और प्रेम का अनुभव करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया गया है।