NIOS Class 10 Hindi Chapter 17
कविता “बीती विभावरी जाग री” में दोनों तत्व—प्रकृति-चित्रण और राष्ट्रीय उद्बोधन—महत्वपूर्ण हैं, लेकिन राष्ट्रीय उद्बोधन प्रमुख है। कवि जयशंकर प्रसाद ने प्रकृति के माध्यम से स्वाधीनता संग्राम की जागरूकता को व्यक्त किया है। नायिका की सखी को जगाने का आग्रह केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज को भी प्रेरित करने का प्रयास है। प्रकृति के सौंदर्य का चित्रण इस संदेश को और भी प्रभावी बनाता है, जिससे पाठक में नवचेतना और देशभक्ति की भावना जागृत होती है। इस प्रकार, कविता का उद्देश्य राष्ट्र के प्रति जागरूकता फैलाना है।
“बीती विभावरी जाग री” कविता में प्रकृति-चित्रण और राष्ट्रीय उद्बोधन, दोनों ही महत्वपूर्ण विषय हैं।
प्रकृति-चित्रण:
कविता में प्रकृति का अत्यंत सुंदर और सजीव चित्रण किया गया है।
भोर के समय सूर्योदय, पक्षियों का कलरव, फूलों की सुगंध, और मंद शीतल हवा का वर्णन मनोरम है।
कवि प्रकृति के विभिन्न रूपों को मानवीय भावनाओं से जोड़कर उन्हें और भी प्रभावशाली बनाता है।
उदाहरण के लिए, वह उषा को एक युवती के रूप में कल्पना करता है जो प्रकृति को सजा रही है।
राष्ट्रीय उद्बोधन:
कवि प्रकृति के माध्यम से राष्ट्रीय जागृति का संदेश भी देता है। वह प्रेयसी को नींद से जगाकर उसे जीवन के प्रति सजग और सक्रिय होने के लिए प्रेरित करता है। कविता में कुछ ऐसे भी भाव हैं जो राष्ट्रीय भावना को जगाते हैं, जैसे:
“जगमगा उठे तन मन”
“वीर रस धारा बहने लगे”
“उठो जागृति होवे”
कौन सा प्रमुख है?
यह कहना मुश्किल है कि “बीती विभावरी जाग री” में प्रकृति-चित्रण प्रमुख है या राष्ट्रीय उद्बोधन।
कविता में दोनों विषयों का समान रूप से महत्व है।
प्रकृति-चित्रण कविता को सौंदर्य और भावपूर्णता प्रदान करता है, जबकि राष्ट्रीय उद्बोधन इसे प्रेरणादायक और प्रेरक बनाता है।
कवि का उद्देश्य केवल प्रकृति का वर्णन करना या राष्ट्रीय भावना जगाना नहीं था, बल्कि इन दोनों भावों को एक साथ मिलाकर एक ऐसा प्रभाव पैदा करना था जो पाठकों को प्रेरित करे और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे।