NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 आह्वान इस कविता में काव्य-सौंदर्य स्पष्ट रूप से कर्म और पुरुषार्थ की महत्ता को दर्शाने में निहित है। रूपक अलंकार का प्रयोग करते हुए कवि ने कर्म को “तेल” और भाग्य को “दीप” के रूप ...
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NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 “विविध सुमनों की एक माला” से तात्पर्य है कि विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, और भाषाओं के लोग मिलकर एक सुंदर और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह उदाहरण इसलिए दिया गया है क्योंकि यह ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 4, आह्वान कवि देशवासियों का आह्वान कर उनसे एकता, साहस, और सक्रियता की अपेक्षा करता है। वह चाहता है कि लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को छोड़कर सामूहिक रूप से देश की प्रगति ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 आह्वान “पाठ पौरुष का पढ़ो” कथन से कवि का आशय है कि लोगों को आलस्य और भाग्यवाद को त्यागकर साहस और पराक्रम का अभ्यास करना चाहिए। यह संदेश देता है कि जीवन में आगे बढ़ने ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 पिछड़े देश और समाजों का आगे बढ़ना कई कारणों से संभव हुआ है। इनमें शिक्षा का सुधार, तकनीकी नवाचार, और सामाजिक जागरूकता शामिल हैं। वैश्विक सहयोग और निवेश ने भी उनकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका ...
भाग्यवादी वह व्यक्ति होता है जो अपने जीवन की घटनाओं और परिणामों को पूर्वनिर्धारित मानता है और अपने कर्मों के बजाय भाग्य पर निर्भर रहता है। ऐसे लोग अक्सर सोचते हैं कि उनका जीवन उनके नियंत्रण में नहीं है। हालांकि, ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 आह्वान क्या सांप्रदायिक भेद से है ऐक्य मिट सकता अहो! बनती नहीं क्या एक माला विविधाा सुमनों की कहो? उपरोक्त पंक्तियाँ यह संकेत करती हैं कि विविधता में एकता संभव है। “बनती नहीं क्या एक माला विविधाा ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 आओ, मिलें सब देश-बांधाव हार बनकर देश के, साधाक बनें सब प्रेम से सुख-शांतिमय उद्देश्य के। यह हमें एकता, प्रेम, और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता का एहसास कराती हैं। इस उद्धरण का सार यह है कि हमें ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 4, आह्वान यह पंक्तियाँ सांप्रदायिक एकता और विविधता में एकता का संदेश देती हैं। इसमें कहा गया है कि विभिन्न समुदायों, संप्रदायों, या संस्कृतियों में भले ही बाहरी भेद हों, लेकिन वे ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 उपमेय एक साहित्यिक और व्याकरणिक अवधारणा है, जिसका उपयोग उपमा अलंकार में किया जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है “जिसके लिए उपमा दी जाए”। उपमेय वह व्यक्ति या वस्तु होती है, जिसकी तुलना किसी अन्य ...