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निम्नलिखित पत्रों के कथ्य को सार के रूप में लिखिएः सं. 102/न-3/8-03 दिनांकः 18 अगस्त, 2011 प्रेषकः जि़लाधिकारी देहरादून सेवा में, अवर सचिव ग्राम पंचायत विभाग उत्तराखंड सरकार देहरादून विषयः ग्राम पंचायत कार्यालय के कर्मचारियों के लिए पर्वतीय भत्ते की स्वीकृति के संबंध में। महोदय, इस जि़ले के लिए स्वीकृत वर्ष 2010-11 के बजट में पर्वतीय भत्ते के लिए प्रावधान नहीं रखा गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में अन्य स्थानों की अपेक्षा महँगाई अधिक है। इसी वजह से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कार्यरत समस्त सरकारी कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ता दिया जाता है। पर्वतीय भत्ता देने का प्रावधान इस जिले पर भी लागू होता है। इस संबंध में सरकार से अनुरोध है कि वर्ष 2010-11 के बजट में ग्राम पंचायत कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ते का भुगतान करने हेतु इस मद में रु. 15,00,000/- (रुपए पंद्रह लाख मात्र) की व्यवस्था की जाए और पिछले साल खर्च हुई राशि के लिए कार्य हो जाने के पश्चात् मंजूरी प्रदान की जाए।

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 11, सार लेखन गद्यांश का सार यह है कि देहरादून के जिलाधिकारी ने अवर सचिव, ग्राम पंचायत विभाग को पत्र लिखकर 2010-11 के बजट में पर्वतीय भत्ते के लिए प्रावधान की कमी ...

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 सार लेखन गद्यांश का सार यह है कि एक राष्ट्र की मानसिक संपत्ति, विशेषकर उसके बालक-बालिकाएँ, उसकी सबसे मूल्यवान धरोहर हैं। जो राष्ट्र अपनी मानसिक संपत्ति की रक्षा और उन्नति के लिए प्रयास करता है, ...

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निम्नलिखित अंश का सार-लेखन एक तिहाई शब्दों में कीजिएः आज की भारतीय शिक्षित नारी को अच्छी गृहिणी के रूप में न देख पाना पुरुषों की एकांगी दृष्टि का परिणाम है। विवाह के बाद उसकी बदली हुई मनःस्थिति तथा परिस्थितियों की कठिनाइयों पर ध्यान नहीं दिया जाता। उसकी रुचियों और भावनाओं की उपेक्षा की जाती है। पुरुष यदि अपने सुख के लिए पत्नी के सुख का धयान रखे, तो वह अच्छी गृहिणी हो सकती है। पत्नी और पति का कर्तव्य है कि वे एक दूसरे के कार्य में हाथ बटाएँ और एक-दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और रुचियों का धयान रखें। आखि़र नारी भी तो मनुष्य है। उसकी अपनी ज़रूरतें भी हैं और वह भी परिवार में, पड़ोस में तथा समाज में सम्मान पाना चाहती है। यदि नारी त्याग की मूर्ति है, तो पुरुष को बलिदानी होना चाहिए।

NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 गद्यांश का सार यह है कि आज की भारतीय शिक्षित नारी को एक अच्छी गृहिणी के रूप में नहीं देखा जाता, जिसका कारण पुरुषों की संकीर्ण दृष्टि है। विवाह के बाद उसकी भावनाओं और इच्छाओं ...

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निम्नलिखित अंश का सार-लेखन एक तिहाई शब्दों में कीजिएः सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान का हाथ रहता है। धर्म ने मनुष्य के मन में सुधाार किया है और विज्ञान ने संस्कृति को जीता है। धर्म हमारे मन को बल देता है और सत्य, अहिंसा, परोपकार, संयम आदि सभी अच्छे गुण धर्म के कारण हैं। धर्म हृदय में पैदा होता है। विज्ञान प्रकृति को जीतता है जबकि धर्म सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि से मन को जीतता है। इसीलिए यदि धर्म और विज्ञान मिलकर काम करें, तो वह दिन दूर नहीं, जब हम केवल राज्यों और देशों से अपने को जोड़ने की संकुचित प्रवृत्ति को छोड़ देंगे और समस्त संसार को अपना समझने लगेंगे।

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 11, सार लेखन गद्यांश का सार यह है कि धर्म और विज्ञान दोनों सभ्यता और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धर्म मनुष्य के भीतर सुधार लाता है, जबकि विज्ञान ...

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नीचे दिए गए गद्यांश और उनके सार को ध्यानपूर्वक पढि़ए। गद्यांश का सार लिखते हुए जिन चरणों का उल्लेख किया गया है, वे यहाँ नहीं है। आप इ गद्यांश के सार-लेखन के चरणों को यहाँ लिखिएः हमारे देश में अशिक्षित प्रौढ़ों की संख्या करोड़ों में है। यदि हम किसी प्रकार इनके मानस-मंदिरों में शिक्षा की ज्योति जगा सकें, तो सबसे महान धार्म और सबसे पवित्र कर्तव्य का पालन होगा। रेलगाड़ी और बिजली की बत्ती से भी अपरिचित लोगों का होना हमारी प्रगति पर कलंक है। प्रौढ़-शिक्षा योजना इनको प्रबुद्ध नागरिक बनाने की दिशा में क्रियाशील है। इस योजना से गाँवों में एक सीमा तक आत्मनिर्भरता आएगी। हर बात के लिए शहरों की ओर ताकने की प्रवृत्ति समाप्त होगी। निरर्थक रूढि़यों और अंधविश्वासों में फँसे हुए और अपनी गाढ़े पसीने की कमाई को नगरों की भेंट चढ़ाने वाले ये हमारे भाई प्रौढ़ शिक्षा से निश्चित ही सचेत और विवेकी बनेंगे। स्वास्थ्य, सफ़ाई, उन्नति, कृषि तथा आपसी सद्भावना के प्रति प्रौढ़ शिक्षा इनको जागरूक बना सकती है। इससे इनकी मेहनत की कमाई डॉक्टरों की जेबों में जाने से और कचहरियों में लुटने से बचेगी। सबसे बड़ा लाभ तो प्रौढ़ शिक्षा द्वारा यह होगा कि करोड़ों लोग नए ढंग से देखने, सुनने और समझने के साथ-साथ अच्छा आचरण करने में समर्थ होंगे। हमारे करोड़ों देशवासी आज भी अशिक्षित और पिछड़े हुए हैं। सारे संसार के सामने हम इस कलंक को सिर झुकाए सह रहे हैं। भारत की उन्नति चंद नगरों को जगमग कर देने से नहीं होगी, उसकी सच्ची उन्नति का पैमाना तो यही ग्राम-समुदाय है जिसकी पढ़ने की आयु निकल चुकी, जो स्वयं पढ़ने के महत्त्व से अपरिचित हैं, जिसका तन-मन-धन नगरीय सभ्यता शताब्दियों से लूटती चली आ रही है। ऐसे अज्ञान और अशिक्षा के अंधकार में जीवन बिताने वाले करोड़ों भाइयों-बहनों के प्रति यदि हम आज सचेत और उत्तरदायी बनने की बात सोच रहे हैं, तो देश का बड़ा सौभाग्य है।

NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 सार लेखन गद्यांश का मूल भाव यह है कि हमारे देश में करोड़ों अशिक्षित प्रौढ़ों की संख्या है, जिनकी शिक्षा की ज्योति जलाना सबसे पवित्र कर्तव्य है। प्रौढ़-शिक्षा योजना से इन लोगों को जागरूक और ...