‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वालRead more
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वाली होती है।
उदाहरण के लिए, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी, तो
अखबारों में यह खबर छपी कि एक भारतीय महिला ने अंतरिक्ष की परिक्रमा की। लेकिन कल्पना कौन है, वह अंतरिक्ष में जाने का साहस कैसे जुटा पाई, उसकी इस बहादुरी ने समाज को किस प्रकार से प्रभावित किया? इन बातों को सरल भाषा और मनोरंजक शैली में बताया जाए, तो वह फ़ीचर होगा।
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है। भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससRead more
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है।
भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससे भारत को पूरे संसार में सिर उठाने का मौका मिला है। नारियों में अदम्य शक्ति छिपी है। उन्हें उपयुक्त अवसर मिलना चाहिए। कल्पना चावला, बचेंद्री पाल जैसी बहादुर बेटियों की जीवन-कथाएँ सभी को प्रेरित करेंगी।
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहRead more
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहले एक सामान्य क्लर्क और शिक्षिका के रूप में कार्य कर चुकी हैं। भले ही आज द्रौपदी मुर्मू भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सफलतापूर्वक सामना किया।
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है। यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं: समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों कोRead more
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक
मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है।
यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं:
समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों को, चाहे वे लड़के हों या लड़कियां, समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। लिंग के आधार पर भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
अन्याय: लड़के और लड़कियां दोनों ही मनुष्य हैं और उनमें समान क्षमताएं और प्रतिभाएं होती हैं। किसी भी लिंग को कमतर समझना और उसे अवसरों से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।
विकास में बाधा: लिंग भेदभाव समाज के समग्र विकास में बाधा डालता है। जब लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों से वंचित रखा जाता है, तो वे अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती हैं। इससे न केवल उनका जीवन प्रभावित होता है, बल्कि पूरे समाज का भी नुकसान होता है।
हिंसा और उत्पीड़न: लिंग भेदभाव अक्सर हिंसा और उत्पीड़न का कारण बनता है। लड़कियों को यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक बुराइयां: लिंग भेदभाव दहेज प्रथा, बाल विवाह और नरसंहार जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है।
निष्कर्ष: लड़के और लड़की में भेदभाव एक पुरानी और हानिकारक प्रथा है। हमें इसे समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए। शिक्षा, जागरूकता और सकारात्मक सोच के माध्यम से हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों को समान अवसर और सम्मान मिले।
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरRead more
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरित करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि उनकी तरह और भी भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे सकें।
फ़ीचर किसे कहते हैं? भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ एक फ़ीचर है। सिद्ध कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वालRead more
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वाली होती है।
See lessउदाहरण के लिए, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी, तो
अखबारों में यह खबर छपी कि एक भारतीय महिला ने अंतरिक्ष की परिक्रमा की। लेकिन कल्पना कौन है, वह अंतरिक्ष में जाने का साहस कैसे जुटा पाई, उसकी इस बहादुरी ने समाज को किस प्रकार से प्रभावित किया? इन बातों को सरल भाषा और मनोरंजक शैली में बताया जाए, तो वह फ़ीचर होगा।
इस पाठ का शीर्षक आपको उचित लगता है या नहीं? यदि उचित लगता है तो क्यों? NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है। भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससRead more
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है।
See lessभारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससे भारत को पूरे संसार में सिर उठाने का मौका मिला है। नारियों में अदम्य शक्ति छिपी है। उन्हें उपयुक्त अवसर मिलना चाहिए। कल्पना चावला, बचेंद्री पाल जैसी बहादुर बेटियों की जीवन-कथाएँ सभी को प्रेरित करेंगी।
कल्पना चावला और बचेंद्री पाल अपने विषय में सोच-समझकर स्वयं फ़ैसला लेने वाली, साहसी, दृढ़ निश्चयी, आत्म-विश्वासी महिलाएं हैं, इसीलिए वे आज इस रूप में याद की जाती हैं। इसी तरह की किसी एक महिला पर एक फ़ीचर लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहRead more
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहले एक सामान्य क्लर्क और शिक्षिका के रूप में कार्य कर चुकी हैं। भले ही आज द्रौपदी मुर्मू भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सफलतापूर्वक सामना किया।
See lessआज भी हमारे समाज के कुछ हिस्सों में लड़के और लड़की में भेद किया जाता है, क्या आपकी दृष्टि में यह उचित है-तर्कसहित लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है। यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं: समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों कोRead more
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक
See lessमेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है।
यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं:
समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों को, चाहे वे लड़के हों या लड़कियां, समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। लिंग के आधार पर भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
अन्याय: लड़के और लड़कियां दोनों ही मनुष्य हैं और उनमें समान क्षमताएं और प्रतिभाएं होती हैं। किसी भी लिंग को कमतर समझना और उसे अवसरों से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।
विकास में बाधा: लिंग भेदभाव समाज के समग्र विकास में बाधा डालता है। जब लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों से वंचित रखा जाता है, तो वे अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती हैं। इससे न केवल उनका जीवन प्रभावित होता है, बल्कि पूरे समाज का भी नुकसान होता है।
हिंसा और उत्पीड़न: लिंग भेदभाव अक्सर हिंसा और उत्पीड़न का कारण बनता है। लड़कियों को यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक बुराइयां: लिंग भेदभाव दहेज प्रथा, बाल विवाह और नरसंहार जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है।
निष्कर्ष: लड़के और लड़की में भेदभाव एक पुरानी और हानिकारक प्रथा है। हमें इसे समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए। शिक्षा, जागरूकता और सकारात्मक सोच के माध्यम से हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों को समान अवसर और सम्मान मिले।
कल्पना की दुखद मृत्यु के पश्चात् भारत के प्रधानमंत्री ने विशेष घोषणा की कि- NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरRead more
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरित करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि उनकी तरह और भी भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे सकें।
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