प्राचीन भारत में चार मुख्य शिक्षा केंद्र तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी थे। ये केंद्र ज्ञान और शिक्षा के प्रमुख स्थल थे और यहाँ विभिन्न विषयों की पढ़ाई होती थी। तक्षशिला: आधुनिक पाकिस्तान में स्थित, यह दुनिया के सबसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों में से एक था। यहाँ चिकित्सा, खगोलशास्त्र, राजनीति,Read more
प्राचीन भारत में चार मुख्य शिक्षा केंद्र तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी थे। ये केंद्र ज्ञान और शिक्षा के प्रमुख स्थल थे और यहाँ विभिन्न विषयों की पढ़ाई होती थी।
तक्षशिला: आधुनिक पाकिस्तान में स्थित, यह दुनिया के सबसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों में से एक था। यहाँ चिकित्सा, खगोलशास्त्र, राजनीति, और युद्ध कला की शिक्षा दी जाती थी।
नालंदा: बिहार में स्थित यह विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। बौद्ध धर्म के अध्ययन के साथ ही दर्शन, गणित, और विज्ञान पढ़ाया जाता था। विदेशी छात्र भी यहाँ पढ़ने आते थे।
विक्रमशिला: नालंदा के समकालीन, यह शिक्षा केंद्र भी बिहार में स्थित था। यहाँ तंत्र, बौद्ध धर्म और अन्य विषयों की शिक्षा दी जाती थी।
वल्लभी: गुजरात में स्थित यह शिक्षा केंद्र प्रशासन, राजनीति, और व्यापार के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध था।
इन केंद्रों ने प्राचीन भारत को वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनाया।
प्राचीन भारत के दो प्रमुख वैद्य चरक और सुश्रुत थे। चरक: इन्हें आयुर्वेद के प्रमुख आचार्यों में गिना जाता है। चरक ने "चरक संहिता" लिखी, जिसमें चिकित्सा, रोगों के निदान और औषधियों का विस्तृत वर्णन है। यह ग्रंथ आंतरिक चिकित्सा (Internal Medicine) के लिए प्रसिद्ध है। सुश्रुत: इन्हें शल्य चिकित्सा (SurgeRead more
प्राचीन भारत के दो प्रमुख वैद्य चरक और सुश्रुत थे।
चरक: इन्हें आयुर्वेद के प्रमुख आचार्यों में गिना जाता है। चरक ने “चरक संहिता” लिखी, जिसमें चिकित्सा, रोगों के निदान और औषधियों का विस्तृत वर्णन है। यह ग्रंथ आंतरिक चिकित्सा (Internal Medicine) के लिए प्रसिद्ध है।
सुश्रुत: इन्हें शल्य चिकित्सा (Surgery) का जनक माना जाता है। उन्होंने “सुश्रुत संहिता” लिखी, जिसमें शल्य चिकित्सा, अंग प्रत्यारोपण, और प्लास्टिक सर्जरी का वर्णन है।
इन दोनों ने चिकित्सा क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया, जिससे प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति का विकास हुआ।
(क) .... संगम..... साहित्य में तोलकप्पियम आदि आरंभिक तमिल ग्रंथ हैं। (ख) ...मदुराई.... पांड्य राजाओं की राजधानी थी। (ग) कनिष्क ....कुषाण.... वंश का शासक था।
(क) …. संगम….. साहित्य में तोलकप्पियम आदि आरंभिक तमिल ग्रंथ हैं।
(ख) …मदुराई…. पांड्य राजाओं की राजधानी थी।
(ग) कनिष्क ….कुषाण…. वंश का शासक था।
पारिवारिक पत्रों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं: व्यक्तिगत स्पर्श: पारिवारिक पत्रों में व्यक्तिगत और भावनात्मक स्पर्श होता है, जो पत्र को विशेष और महत्वपूर्ण बनाता है। परिवार के सदस्य के साथ जुड़ाव: ये पत्र परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करने में सहायक होते हैं। समाचार और घटनाओं कRead more
पारिवारिक पत्रों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं:
व्यक्तिगत स्पर्श: पारिवारिक पत्रों में व्यक्तिगत और भावनात्मक स्पर्श होता है, जो पत्र को विशेष और महत्वपूर्ण बनाता है।
परिवार के सदस्य के साथ जुड़ाव: ये पत्र परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करने में सहायक होते हैं।
समाचार और घटनाओं की जानकारी: पत्र में परिवार के सदस्यों की दैनिक जीवन की घटनाओं, समाचार और महत्वपूर्ण अपडेट शामिल होते हैं।
भावनाओं का आदान-प्रदान: इन पत्रों में अक्सर प्यार, समर्थन, चिंता, खुशी, और दुख जैसी भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।
अनौपचारिक भाषा: पारिवारिक पत्रों में आमतौर पर अनौपचारिक और सरल भाषा का प्रयोग होता है।
व्यक्तिगत घटनाओं का विवरण: इसमें परिवार के किसी सदस्य की शादी, जन्मदिन, उपलब्धि, या किसी महत्वपूर्ण घटना का विस्तृत विवरण होता है।
स्मृतियों और अनुभवों का साझा करना: पुराने अनुभवों और यादों को साझा करके, पत्रों में परिवार के सदस्यों के बीच एक विशेष बंधन बनाया जाता है।
सहानुभूति और सहयोग: कठिन समय में सहानुभूति और सहयोग का प्रदर्शन करने के लिए पारिवारिक पत्र एक महत्वपूर्ण माध्यम होते हैं।
औपचारिक पत्रों में संक्षिप्तता आवश्यक है क्योंकि: समय की बचत: प्राप्तकर्ता के पास अक्सर समय की कमी होती है। संक्षिप्त पत्र पढ़ने में कम समय लगता है और आवश्यक जानकारी जल्दी प्राप्त की जा सकती है। स्पष्टता और सटीकता: संक्षिप्त पत्रों में जानकारी स्पष्ट और सटीक होती है, जिससे संदेश का उद्देश्य आसानी सेRead more
औपचारिक पत्रों में संक्षिप्तता आवश्यक है क्योंकि:
समय की बचत: प्राप्तकर्ता के पास अक्सर समय की कमी होती है। संक्षिप्त पत्र पढ़ने में कम समय लगता है और आवश्यक जानकारी जल्दी प्राप्त की जा सकती है।
स्पष्टता और सटीकता: संक्षिप्त पत्रों में जानकारी स्पष्ट और सटीक होती है, जिससे संदेश का उद्देश्य आसानी से समझा जा सकता है।
पेशेवर प्रभाव: संक्षिप्त और सुव्यवस्थित पत्र पेशेवरता का संकेत देते हैं। यह दिखाता है कि लेखक ने अपने विचारों को स्पष्ट और संगठित तरीके से प्रस्तुत किया है।
मुख्य बिंदुओं पर जोर: लंबी व्याख्या से बचने के लिए, संक्षिप्त पत्र मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे महत्वपूर्ण जानकारी पर जोर दिया जा सकता है।
प्रभावी संचार: संक्षिप्तता के साथ, संचार अधिक प्रभावी और प्रभावशाली होता है। प्राप्तकर्ता पत्र के मुख्य बिंदुओं को आसानी से याद रख सकता है।
भ्रम से बचाव: लंबे पत्रों में जानकारी बिखरी हो सकती है जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। संक्षिप्त पत्रों में इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता है।
प्राचीन भारत में चार मुख्य शिक्षा के केन्द्र कौन से थे? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
प्राचीन भारत में चार मुख्य शिक्षा केंद्र तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी थे। ये केंद्र ज्ञान और शिक्षा के प्रमुख स्थल थे और यहाँ विभिन्न विषयों की पढ़ाई होती थी। तक्षशिला: आधुनिक पाकिस्तान में स्थित, यह दुनिया के सबसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों में से एक था। यहाँ चिकित्सा, खगोलशास्त्र, राजनीति,Read more
प्राचीन भारत में चार मुख्य शिक्षा केंद्र तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी थे। ये केंद्र ज्ञान और शिक्षा के प्रमुख स्थल थे और यहाँ विभिन्न विषयों की पढ़ाई होती थी।
See lessतक्षशिला: आधुनिक पाकिस्तान में स्थित, यह दुनिया के सबसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों में से एक था। यहाँ चिकित्सा, खगोलशास्त्र, राजनीति, और युद्ध कला की शिक्षा दी जाती थी।
नालंदा: बिहार में स्थित यह विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। बौद्ध धर्म के अध्ययन के साथ ही दर्शन, गणित, और विज्ञान पढ़ाया जाता था। विदेशी छात्र भी यहाँ पढ़ने आते थे।
विक्रमशिला: नालंदा के समकालीन, यह शिक्षा केंद्र भी बिहार में स्थित था। यहाँ तंत्र, बौद्ध धर्म और अन्य विषयों की शिक्षा दी जाती थी।
वल्लभी: गुजरात में स्थित यह शिक्षा केंद्र प्रशासन, राजनीति, और व्यापार के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध था।
इन केंद्रों ने प्राचीन भारत को वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनाया।
प्राचीन भारत के दो प्रमुख वैद्य के नाम बताइये। NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
प्राचीन भारत के दो प्रमुख वैद्य चरक और सुश्रुत थे। चरक: इन्हें आयुर्वेद के प्रमुख आचार्यों में गिना जाता है। चरक ने "चरक संहिता" लिखी, जिसमें चिकित्सा, रोगों के निदान और औषधियों का विस्तृत वर्णन है। यह ग्रंथ आंतरिक चिकित्सा (Internal Medicine) के लिए प्रसिद्ध है। सुश्रुत: इन्हें शल्य चिकित्सा (SurgeRead more
प्राचीन भारत के दो प्रमुख वैद्य चरक और सुश्रुत थे।
See lessचरक: इन्हें आयुर्वेद के प्रमुख आचार्यों में गिना जाता है। चरक ने “चरक संहिता” लिखी, जिसमें चिकित्सा, रोगों के निदान और औषधियों का विस्तृत वर्णन है। यह ग्रंथ आंतरिक चिकित्सा (Internal Medicine) के लिए प्रसिद्ध है।
सुश्रुत: इन्हें शल्य चिकित्सा (Surgery) का जनक माना जाता है। उन्होंने “सुश्रुत संहिता” लिखी, जिसमें शल्य चिकित्सा, अंग प्रत्यारोपण, और प्लास्टिक सर्जरी का वर्णन है।
इन दोनों ने चिकित्सा क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया, जिससे प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति का विकास हुआ।
निम्नलिखित कथनों में खाली स्थान भरिएः (क) …….. साहित्य में तोलकप्पियम आदि आरंभिक तमिल ग्रंथ हैं। (ख) ………………… पांड्य राजाओं की राजधानी थी। (ग) कनिष्क ………………… वंश का शासक था।
(क) .... संगम..... साहित्य में तोलकप्पियम आदि आरंभिक तमिल ग्रंथ हैं। (ख) ...मदुराई.... पांड्य राजाओं की राजधानी थी। (ग) कनिष्क ....कुषाण.... वंश का शासक था।
(क) …. संगम….. साहित्य में तोलकप्पियम आदि आरंभिक तमिल ग्रंथ हैं।
See less(ख) …मदुराई…. पांड्य राजाओं की राजधानी थी।
(ग) कनिष्क ….कुषाण…. वंश का शासक था।
आपके द्वारा बैंक के मैनेजर को लिखा जाने वाला पत्र किस प्रकार का होता है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 21
(क) आपके द्वारा बैंक के मैनेजर को लिखा जाने वाला पत्र औपचारिक प्रकार का होता है।
(क) आपके द्वारा बैंक के मैनेजर को लिखा जाने वाला पत्र औपचारिक प्रकार का होता है।
See lessआपके द्वारा माताजी को लिखा जाने वाला पत्र किस प्रकार का होता है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 21
(ग) आपके द्वारा माताजी को लिखा जाने वाला पत्र व्यक्तिगत प्रकार का होता है।
(ग) आपके द्वारा माताजी को लिखा जाने वाला पत्र व्यक्तिगत प्रकार का होता है।
See lessअपने से छोटों को पत्र लिखते समय आप संबोधन में क्या लिखेंगे? NIOS Class 10 Hindi Chapter 21
(ग) अपने से छोटों को पत्र लिखते समय आप संबोधन में आशीष लिखेंगे।
(ग) अपने से छोटों को पत्र लिखते समय आप संबोधन में आशीष लिखेंगे।
See lessअपने से बड़ों को पत्र लिखते समय पत्र की समाप्ति पर क्या लिखा जाना चाहिए? NIOS Class 10 Hindi Chapter 21
(क) अपने से बड़ों को पत्र लिखते समय पत्र की समाप्ति पर आपका आज्ञाकारी लिखा जाना चाहिए।
(क) अपने से बड़ों को पत्र लिखते समय पत्र की समाप्ति पर आपका आज्ञाकारी लिखा जाना चाहिए।
See lessअपने ही शहर में पत्र लिखते समय क्या लिखना आवश्यक है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 21
(क) अपने ही शहर में पत्र लिखते समय दिनांक लिखना आवश्यक है।
(क) अपने ही शहर में पत्र लिखते समय दिनांक लिखना आवश्यक है।
See lessपारिवारिक पत्रों की मुख्य विशेषता क्या होती है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 21
पारिवारिक पत्रों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं: व्यक्तिगत स्पर्श: पारिवारिक पत्रों में व्यक्तिगत और भावनात्मक स्पर्श होता है, जो पत्र को विशेष और महत्वपूर्ण बनाता है। परिवार के सदस्य के साथ जुड़ाव: ये पत्र परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करने में सहायक होते हैं। समाचार और घटनाओं कRead more
पारिवारिक पत्रों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं:
See lessव्यक्तिगत स्पर्श: पारिवारिक पत्रों में व्यक्तिगत और भावनात्मक स्पर्श होता है, जो पत्र को विशेष और महत्वपूर्ण बनाता है।
परिवार के सदस्य के साथ जुड़ाव: ये पत्र परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करने में सहायक होते हैं।
समाचार और घटनाओं की जानकारी: पत्र में परिवार के सदस्यों की दैनिक जीवन की घटनाओं, समाचार और महत्वपूर्ण अपडेट शामिल होते हैं।
भावनाओं का आदान-प्रदान: इन पत्रों में अक्सर प्यार, समर्थन, चिंता, खुशी, और दुख जैसी भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।
अनौपचारिक भाषा: पारिवारिक पत्रों में आमतौर पर अनौपचारिक और सरल भाषा का प्रयोग होता है।
व्यक्तिगत घटनाओं का विवरण: इसमें परिवार के किसी सदस्य की शादी, जन्मदिन, उपलब्धि, या किसी महत्वपूर्ण घटना का विस्तृत विवरण होता है।
स्मृतियों और अनुभवों का साझा करना: पुराने अनुभवों और यादों को साझा करके, पत्रों में परिवार के सदस्यों के बीच एक विशेष बंधन बनाया जाता है।
सहानुभूति और सहयोग: कठिन समय में सहानुभूति और सहयोग का प्रदर्शन करने के लिए पारिवारिक पत्र एक महत्वपूर्ण माध्यम होते हैं।
अपनी बहन के विवाह के लिए मित्र को पत्र लिखकर निमंत्रित कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 21
औपचारिक पत्रों में संक्षिप्तता आवश्यक है क्योंकि: समय की बचत: प्राप्तकर्ता के पास अक्सर समय की कमी होती है। संक्षिप्त पत्र पढ़ने में कम समय लगता है और आवश्यक जानकारी जल्दी प्राप्त की जा सकती है। स्पष्टता और सटीकता: संक्षिप्त पत्रों में जानकारी स्पष्ट और सटीक होती है, जिससे संदेश का उद्देश्य आसानी सेRead more
औपचारिक पत्रों में संक्षिप्तता आवश्यक है क्योंकि:
See lessसमय की बचत: प्राप्तकर्ता के पास अक्सर समय की कमी होती है। संक्षिप्त पत्र पढ़ने में कम समय लगता है और आवश्यक जानकारी जल्दी प्राप्त की जा सकती है।
स्पष्टता और सटीकता: संक्षिप्त पत्रों में जानकारी स्पष्ट और सटीक होती है, जिससे संदेश का उद्देश्य आसानी से समझा जा सकता है।
पेशेवर प्रभाव: संक्षिप्त और सुव्यवस्थित पत्र पेशेवरता का संकेत देते हैं। यह दिखाता है कि लेखक ने अपने विचारों को स्पष्ट और संगठित तरीके से प्रस्तुत किया है।
मुख्य बिंदुओं पर जोर: लंबी व्याख्या से बचने के लिए, संक्षिप्त पत्र मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे महत्वपूर्ण जानकारी पर जोर दिया जा सकता है।
प्रभावी संचार: संक्षिप्तता के साथ, संचार अधिक प्रभावी और प्रभावशाली होता है। प्राप्तकर्ता पत्र के मुख्य बिंदुओं को आसानी से याद रख सकता है।
भ्रम से बचाव: लंबे पत्रों में जानकारी बिखरी हो सकती है जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। संक्षिप्त पत्रों में इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता है।