राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 8, चंद्रगहना से लौटती बेर इस कविता में कवि ने परिवार और प्रकृति के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं और व्यक्तिगत अस्तित्व के प्रश्न को दर्शाया है। भावार्थ: कवि एक छोटे से आंगन का वर्णन ...
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NIOS Class 10 Hindi Chapter 8 कवि कल्पना करता है कि वे पत्थर तालाब के किनारे पड़े चुपचाप उसका पानी पी रहे हैं। कब से? वर्षों से, शायद जब से तालाब बना, तब से। कवि यहाँ पर तालाब और उसमें स्थित ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 8 ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता का संदेश और मेरी प्रतिक्रिया: प्रकृति प्रेम: कवि, जयशंकर प्रसाद, प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। वे चांदनी रात में खिली बेर के फूल की सुंदरता ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 8, चंद्रगहना से लौटती बेर बगुला समाज के ढोंगी लोगों का प्रतीक है, जो दिखावा कुछ करते हैं और उनका आचरण कुछ और ही होता है। इसलिए कहावत भी है- बगुला भगत ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 8 चंद्रगहना से लौटती बेर साँझ होने को आई है और तालाब की सतह पर चाँद का प्रतिबिंब चमक रहा है। उसकी चमक आँखों को चैंधिाया देती है। चाँद के बारे में कवि की कल्पना देखिए-‘एक ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 8 प्रकृति का अनुराग भरा आँचल हिल रहा है! यह दृश्य कवि के मन को छू लेता है। उसे लगता है इस ग्रामीण अंचल में किसी नगर की अपेक्षा अधिक प्यार भरा वातावरण है। नगर तो ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 8, चंद्रगहना से लौटती बेर कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 8 चंद्रगहना से लौटती बेर चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 8 (क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 7, आजादी यह कविता स्वतंत्रता और उसके महत्व को दर्शाती है। कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह बताया है कि स्वर्ण-शृंखला जैसे आकर्षक बंधन भी बंधन ही होते हैं। पिंजरे में ...