NIOS Class 10 Hindi Chapter 3 गिल्लू रेखाचित्र के साथ-साथ संस्मरण विधा के नज़दीक भी है। यह एक ऐसी रचना है जिसमें लेखिका महादेवी वर्मा ने अपने अनुभव और भावनाओं को व्यक्त किया है, जो उन्होंने गिल्लू के साथ साझा किए। ...
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राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 3, गिल्लू लेखिका ने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया ताकि गिल्लू आजादी से अंदर-बाहर आ सके। गिल्लू, जो कि एक गिलहरी का बच्चा था, बाहर की गिलहरियों को देखकर ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 3 गिल्लू लेखिका महादेवी वर्मा गिल्लू को अपने कमरे में इसलिए लाई क्योंकि वह एक घायल गिलहरी थी। लेखिका ने देखा कि गिल्लू को कौवे ने घायल कर दिया था, और वह पीड़ा में थी। उसकी ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 3 ‘लघु प्राण’ शब्द का अर्थ है ‘छोटा जीव’, जो इस संदर्भ में गिलहरी के बच्चे की स्थिति को स्पष्ट करता है, जब वह कौवों के हमले से घायल हो गया था। लेखिका की भावनाएँ और ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 3, गिल्लू गिल्लू की समस्याओं का समाधान करने की क्षमता एक घटना से स्पष्ट होती है जब वह सुराही पर सोने का तरीका खोज लेता है। यह घटना दर्शाती है कि गिल्लू ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 2 मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में स्वतंत्र भाषा का दर्जा प्राप्त है। यह भाषा मुख्यतः बिहार और नेपाल के कुछ हिस्सों में बोली जाती है और इसकी एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 2 करत-करत अभ्यास तें, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत-जात तें, सिल पर परत निसान।। यह दोहा संत कबीर दास जी का है, जो अभ्यास और निरंतर प्रयास के महत्व को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि लगातार ...
NIOS कक्षा 10 हिंदी अध्याय 2 दोहे अन्योक्ति अलंकार में किसी बात को सीधे न कहकर, उसे संकेतों या परोक्ष रूप में कहा जाता है। इसमें वास्तविक अर्थ छिपा रहता है और कहा कुछ और जाता है, जबकि अर्थ कुछ और ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 2 पावस देखि रहीम मन, कोइल साधौ मौन। अब दादुर बक्ता भए, हमको पूछत कौन।। मूर्खों के मंच पर होने से विद्वानों को मौन धारण कार लेना चाहिए इसीमें समझदारी है।
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10 हिंदी अध्याय 2 दोहे खैर, खून, खाँसी, खुसी, वैर, प्रीति, मदपान। रहिमन दाबे ना दबैं, जानत सकल जहान।। रहीम के अनुसार खून, खाँसी, खुसी, वैर, प्रीति और मदपान के अतिरिक्त कत्था छिपाए नहीं छिपता है।