NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
उत्तर वैदिक काल में लोगों के मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन, और व्यापार थे। कृषि ने इस युग में स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा दिया, जहाँ लोग खेतों में फसलें उगाने लगे। इसके साथ ही, पशुपालन भी महत्वपूर्ण था, जिसमें गाय, भेड़, और बकरियों का पालन किया जाता था। व्यापारिक गतिविधियाँ भी बढ़ीं, जिससे विभिन्न वस्तुओं का आदान-प्रदान संभव हुआ। इस प्रकार, ये व्यवसाय समाज की आर्थिक संरचना को मजबूत बनाने में सहायक रहे।
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) में मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन थे। लोहे के औजारों के उपयोग से खेती में सुधार हुआ, और धान, जौ, गेहूँ जैसी फसलों की खेती व्यापक रूप से की गई। सिंचाई के साधनों का विकास भी इस काल में हुआ।
पशुपालन में गाय, बैल, घोड़े, और बकरियों का पालन महत्वपूर्ण था। गाय को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता था।
व्यापार और वस्तु-विनिमय प्रणाली का विकास हुआ, जिसमें धातुओं, कपड़ों और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था। समुद्री और स्थल व्यापार का विस्तार हुआ।
शिल्पकारी और धातुकर्म जैसे कार्य भी उन्नत हुए, जिनमें लोहे, तांबे और सोने का प्रयोग बढ़ा।
धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों ने ब्राह्मण वर्ग को प्रभावशाली बनाया। युद्ध और सुरक्षा के कारण क्षत्रिय वर्ग का महत्व बढ़ा। इस प्रकार कृषि, पशुपालन, और अन्य शिल्प इस काल के मुख्य व्यवसाय थे।