राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 17, बीती विभावरी जाग री
कवि नायिका और प्रकृति में गहरे संबंध को देखता है, जहाँ नायिका की सुंदरता प्रकृति की छवि को प्रतिबिंबित करती है। वह उषा को एक स्त्री के रूप में प्रस्तुत करता है, जो तारों को आकाश में डुबो रही है। इस दृश्य में कवि ने नायिका के सौंदर्य को प्राकृतिक सौंदर्य से जोड़ा है, जैसे कि सुबह की पहली किरणें और पक्षियों का कलरव। उसकी यह सौंदर्य-दृष्टि अत्यंत प्रभावशाली है, क्योंकि यह जीवन की सरलता और प्रकृति के प्रति प्रेम को उजागर करती है, जो पाठकों को प्रेरित करती है।
बीती विभावरी जाग री’ कविता में कवि ने नायिका और प्रकृति दोनों को बहुत ही सुंदरता से चित्रित किया है। कवि की सौंदर्य-दृष्टि में नायिका और प्रकृति के बीच एक गहरा संबंध देखा जा सकता है।
नायिका का चित्रण:
कवि ने नायिका को मानवीय रूप में चित्रित किया है, जो सोई हुई है और जिसे जगाना चाहते हैं। नायिका की नींद और उसके जागने की प्रतीक्षा को कवि ने अत्यंत कोमलता और संवेदनशीलता से व्यक्त किया है। नायिका के रूप में कवि ने उस सुंदरता और माधुर्य को प्रस्तुत किया है जो दिन और रात के परिवर्तन के साथ जागृत होती है।
प्रकृति का चित्रण:
कवि ने भोर के समय की प्रकृति का चित्रण बहुत ही जीवंतता और सुंदरता के साथ किया है। तारों के डूबने, पक्षियों के कलरव, और भोर की पहली किरणों को कवि ने जिस तरह से प्रस्तुत किया है, उससे पाठक प्रकृति की खूबसूरती और ताजगी का अनुभव कर सकते हैं।
कवि की सौंदर्य-दृष्टि:
कवि की सौंदर्य-दृष्टि बहुत ही संवेदनशील और गहरी है। उन्होंने न केवल बाहरी सुंदरता को बल्कि आंतरिक भावनाओं और परिवर्तन को भी महत्व दिया है। नायिका के जागरण और प्रकृति के परिवर्तन के माध्यम से कवि ने एक नई शुरुआत, आशा, और जीवन के उत्साह को प्रस्तुत किया है।