sripal
  • 0

अंधेर नगरी की भाषा-शैली पर एक टिप्पणी लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 15

  • 0

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 15, अंधेर नगरी

‘अंधेर नगरी’ की भाषा-शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और संवादात्मक है, जो नाटक के हास्य और व्यंग्य को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने आम जनता की बोलचाल की भाषा का उपयोग किया, जिससे पात्रों के संवाद सहज और वास्तविक लगते हैं। यह शैली न केवल मनोरंजक है, बल्कि सामाजिक समस्याओं को उजागर करने में भी सक्षम है। नाटक में स्थानीय बोलियों और मुहावरों का प्रयोग इसे जीवंत बनाता है, जिससे दर्शक आसानी से पात्रों और उनकी परिस्थितियों से जुड़ पाते हैं।

Share

1 Answer

  1. “अंधेर नगरी” की भाषा-शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली है, जो दर्शकों और पाठकों को सहज ही आकर्षित करती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पात्रों और घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण होता है। व्यंग्यात्मक शैली का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है, जिससे नाटक की सामाजिक और राजनीतिक आलोचना अधिक प्रभावी बनती है। संवादों में हास्य और व्यंग्य का समावेश करके उन्होंने गंभीर मुद्दों को भी रोचक और समझने योग्य बनाया है। कुल मिलाकर, “अंधेर नगरी” की भाषा-शैली सरलता, सहजता और व्यंग्यात्मकता का उत्कृष्ट मिश्रण है।

    • 22
Leave an answer

Leave an answer

Browse