राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 15, अंधेर नगरी
सही मायने में व्यंग्यकार वही है जो समाज-हित को ध्यान में रखता है, क्योंकि उसका उद्देश्य केवल हंसी-मजाक करना नहीं, बल्कि समाज की समस्याओं और विसंगतियों को उजागर करना होता है। वह अपने व्यंग्य के माध्यम से लोगों को जागरूक करता है, उन्हें सोचने पर मजबूर करता है और सुधार की दिशा में प्रेरित करता है। इस प्रकार, व्यंग्यकार का कार्य न केवल मनोरंजन है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक महत्वपूर्ण साधन भी है।
(क) अभिनेयता का तत्त्व नाटक को अन्य साहित्यिक विधााओं से अलग करता है। (√)
(ख) निबंध में दृश्य प्रमुख होता है और नाटक में भाव या विचार। (x)
(ग) सही मायने में व्यंग्यकार वही है जो समाज-हित को ध्यान में रखता हो। (√)
(घ) यदि कोतवाल की गर्दन में फाँसी का फंदा आ भी जाता तो उसे फाँसी न दी जाती। (x)
(ङ) शुभ मुहूर्त में फाँसी चढ़कर राजा अवश्य ही बैकुंठ गया होगा। (x)