NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 सार लेखन
गद्यांश का मूल भाव यह है कि हमारे देश में करोड़ों अशिक्षित प्रौढ़ों की संख्या है, जिनकी शिक्षा की ज्योति जलाना सबसे पवित्र कर्तव्य है। प्रौढ़-शिक्षा योजना से इन लोगों को जागरूक और विवेकी बनाया जा सकता है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे और रूढ़ियों, अंधविश्वासों से मुक्त होंगे। इससे उनकी मेहनत की कमाई बर्बाद नहीं होगी और देश में सच्ची उन्नति ग्राम-समुदाय के विकास से संभव होगी।
गद्यांश -2
मूल भाव:
अशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए कलंक है। प्रौढ़-शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति अपने अधिाकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक होंगे, नई दृष्टि से सोचने-समझने की शक्ति भी उनमें उत्पन्न होगी। साथ ही, वे शोषण के शिकार भी नहीं बनेंगे। भारत की उन्नति का अर्थ है -गाँवों की उन्नति। यह तभी संभव है, जब वहाँ के अधिक-से-अधिक नागरिक शिक्षित हों। प्रौढ़-शिक्षा कार्यक्रम ही इसका एकमात्र उपचार है। इसे सफल बनाना हम सबका कर्तव्य है। इससे देश का गौरव बढ़ेगा।
संबंधित बिंदु:
1. हमारे देश में करोड़ों अशिक्षित प्रौढ़ हैं।
2. प्रौढ़ शिक्षा का महत्त्व और उसका धार्मिक और पवित्र कर्तव्य।
3. अशिक्षित प्रौढ़ों का होना हमारी प्रगति पर कलंक है।
4. प्रौढ़ शिक्षा योजना का उद्देश्य।
5. गाँवों में आत्मनिर्भरता और शहरों पर निर्भरता की समाप्ति।
6. निरर्थक रूढ़ियों और अंधविश्वासों से मुक्ति।
7. प्रौढ़ शिक्षा से स्वास्थ्य, सफाई, उन्नति, कृषि और आपसी सद्भावना के प्रति जागरूकता।
8. अशिक्षा के अंधकार में जीवन बिताने वालों के प्रति उत्तरदायित्व।
9. ग्राम-समुदाय की उन्नति ही देश की सच्ची उन्नति का पैमाना है।
क्रम:
1. देश में करोड़ों अशिक्षित प्रौढ़ों की संख्या।
2. प्रौढ़ शिक्षा का महत्व और धार्मिक तथा पवित्र कर्तव्य।
3. अशिक्षित प्रौढ़ों का होना हमारी प्रगति पर कलंक।
4. प्रौढ़ शिक्षा योजना का उद्देश्य और उसकी दिशा।
5. गाँवों में आत्मनिर्भरता लाना।
6. निरर्थक रूढ़ियों और अंधविश्वासों से मुक्ति।
7. प्रौढ़ शिक्षा से स्वास्थ्य, सफाई, उन्नति, कृषि और आपसी सद्भावना के प्रति जागरूकता।
8. अशिक्षा के अंधकार में जीवन बिताने वालों के प्रति उत्तरदायित्व।
9. ग्राम-समुदाय की उन्नति को देश की सच्ची उन्नति मानना।
अनावश्यक सामग्री:
1. “रेलगाड़ी और बिजली की बत्ती से भी अपरिचित लोगों का होना हमारी प्रगति पर कलंक है।”
2. “अपनी गाढ़े पसीने की कमाई को नगरों की भेंट चढ़ाने वाले ये हमारे भाई।”
3. “उनकी मेहनत की कमाई डॉक्टरों की जेबों में जाने से और कचहरियों में लुटने से बचेगी।”
4. “आज भी अशिक्षित और पिछड़े हुए हैं।”
5. “सारे संसार के सामने हम इस कलंक को सिर झुकाए सह रहे हैं।”
6. “भारत की उन्नति चंद नगरों को जगमग कर देने से नहीं होगी।”
7. “जिसकी पढ़ने की आयु निकल चुकी, जो स्वयं पढ़ने के महत्त्व से अपरिचित हैं।”
8. “नगर सभ्यता शताब्दियों से लूटती चली आ रही है।”