राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 10, पढ़ें कैसे
भारत में जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या बन गई है, जो समाज की सुख-संपन्नता के लिए चुनौती है। महानगरों में लोग अस्वास्थ्यकर स्थितियों में जीने को मजबूर हैं। भारतीय समाज की मानसिकता, जो संतान को वरदान मानती है, इस समस्या का मुख्य कारण है। प्रतिवर्ष जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे संसाधनों की कमी और जीवन स्तर में गिरावट हो रही है। जनसंख्या पर नियंत्रण अनिवार्य है, अन्यथा स्थिति और विकट हो जाएगी।
(क) जनसंख्या वृद्धि भारत के विकास के लिए चुनौती है क्योंकि इससे संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, रोजगार की कमी होती है, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है, और बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ पड़ता है। यह सामाजिक और आर्थिक असमानता को भी बढ़ावा देता है, जिससे समग्र विकास बाधित होता है।
(ख) समाज की सुख-संपन्नता जनसंख्या पर निर्भर करती है क्योंकि अधिक जनसंख्या संसाधनों, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा पर दबाव डालती है। सीमित संसाधनों के अधिक उपभोग से जीवन स्तर गिरता है, जबकि नियंत्रित जनसंख्या से संतुलित विकास, बेहतर जीवन गुणवत्ता और समृद्धि सुनिश्चित होती है। इसलिए, जनसंख्या प्रबंधन समाज की सुख-संपन्नता के लिए महत्वपूर्ण है।
(ग) भारतीय जनसंख्या की तुलना ऑस्ट्रेलिया से इसलिए की जाती है क्योंकि भारत की जनसंख्या में प्रतिवर्ष एक ऑस्ट्रेलिया के बराबर की जनसंख्या जुड़ती चली जा रही है। अतः भारत की जनसंख्या की वृद्धि की तीव्रता को बताने के लिए इसकी तुलना आस्ट्रेलिया से की गई है।
(घ) भारत में जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे महानगरों में अस्वास्थ्यकर स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं। संसाधनों की कमी और बच्चों की बढ़ती संख्या समाज की सुख-संपन्नता के लिए चुनौती है। भारतीय समाज, संतान को वरदान मानकर, जनसंख्या वृद्धि का कारण बन रहा है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं हुआ, तो भविष्य में स्थिति और भी विकट हो जाएगी।
(ङ) इस अनुच्छेद का उचित शीर्षक- ‘भारतीय जनसंख्या वृद्धि: एक विकट समस्या’
(च) निम्नलिखित शब्दों के अर्थ:
शब्द अर्थ
विकट कठिन
चुनौती ललकार, विरोध करना
अनायास एकाएक, अचानक
अधिकार प्रभुत्व, हक़
प्रयोजन उद्देश्य
(छ) निम्नलिखित शब्दों से उचित उपसर्ग और प्रत्यय अलग कीजिए-
शब्द उपसर्ग प्रत्यय
अस्वास्थ्यकर अ कर
भारतीय – ईय
प्रतिवर्ष प्रति –
प्रयोजन प्र –