एक बीते के बराबर यह हरा ठिगना चना,
बाँधो मुरैठा शीश पर छोटे गुलाबी फूल का,
सज कर खड़ा है।
कुल मिलाकर, इन पंक्तियों में कवि ने एक छोटे से, साधारण तत्व (चना) को सजाकर, उसे सुंदर और आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया है। यह जीवन के अंशों, विशेषकर अतीत, को पुनः सजाकर और उनके नयापन को दर्शाकर दिखाता है कि कैसे समय के साथ साधारण चीजों में भी सुंदरता और महत्व आ सकता है।
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(ख) कवि ने चने को गुलाबी मुरैठा बांधे बैठा हुआ इसलिए कहा है क्योंकि चना विवाह के लिए तैयार है।