राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 6, भारत की ये बहादुर बेटियाँ
बचेंद्री को बचपन में रोज़ 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था। बाद में पर्वतारोहण प्रशिक्षण के दौरान् उनका यह कठोर परिश्रम बहुत काम आया। आठवीं पास करने के बाद पिता ने उनकी पढ़ाई का ख़र्च उठाने से मना कर दिया। बचेंद्री ने इसका भी रास्ता तलाश किया। उन्होंने सिलाई का काम सीखा और सिलाई करके पढ़ाई का ख़र्च जुटाने लगीं। इस तरह उन्होंने संस्कृत से एम.ए. तथा बी.एड. की उपाधिा प्राप्त की।