Ganpati
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निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढि़ए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः जनसंख्या की वृद्धि भारत के लिए आज एक विकट समस्या बन गई है। यह समाज की सुख-संपन्नता के लिए एक भयंकर चुनौती है। महानगरों में कीड़े-मकोड़ों की भाँति अस्वास्थ्यकर घोंसलों में आदमी भरा पड़ा है- न धूप, न हवा, न पानी, न दवा, पीले-दुर्बल, निराश चेहरे। यह संकट अनायास नहीं आया है। संतान को ईश्वरीय विधान और वरदान माननेवाला भारतीय समाज ही इस रक्तबीजी संस्कृति के लिए जिम्मेदार है। चाहे खिलाने को रोटी और पहनाने को वस्त्रा न हों, शिक्षा को शुल्क और रहने को छप्पर न हो, लेकिन अधभूखे, अधनंगे बच्चों की कतार खड़ी करना हर भारतीय अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष एक ऑस्ट्रेलिया यहाँ की जनसंख्या में जुड़ता चला जा रहा है। यदि इस जनवृद्धि पर नियंत्राण न हो सका तो हमारे सारे प्रयोजन और आयोजन व्यर्थ हो जाएँगे। धरती पर पैर रखने की जगह नहीं बचेगी। भारत की जनसंख्या इसी गति से बढ़कर सन् 2000 में एक अरब तक जा पहुँची। (क) जनसंख्या वृद्धि भारत के विकास के लिए चुनौती क्यों है? (ख) समाज की सुख संपन्नता जनसंख्या पर कैसे आश्रित है? (ग) भारतीय जनसंख्या की तुलना आस्ट्रेलिया से क्यों की गई? (घ) इस अनुच्छेद का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए। (ङ) इस अनुच्छेद का उचित शीर्षक लिखिए। (च) निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से देखकर लिखिए- विकट, चुनौती, अनायास, अधिकार, प्रयोजन (छ) निम्नलिखित शब्दों से उचित उपसर्ग और प्रत्यय अलग कीजिए- अस्वास्थ्यकर, भारतीय, प्रतिवर्ष, प्रयोजन

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राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 10, पढ़ें कैसे

भारत में जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या बन गई है, जो समाज की सुख-संपन्नता के लिए चुनौती है। महानगरों में लोग अस्वास्थ्यकर स्थितियों में जीने को मजबूर हैं। भारतीय समाज की मानसिकता, जो संतान को वरदान मानती है, इस समस्या का मुख्य कारण है। प्रतिवर्ष जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे संसाधनों की कमी और जीवन स्तर में गिरावट हो रही है। जनसंख्या पर नियंत्रण अनिवार्य है, अन्यथा स्थिति और विकट हो जाएगी।

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  1. (क) जनसंख्या वृद्धि भारत के विकास के लिए चुनौती है क्योंकि इससे संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, रोजगार की कमी होती है, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है, और बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ पड़ता है। यह सामाजिक और आर्थिक असमानता को भी बढ़ावा देता है, जिससे समग्र विकास बाधित होता है।
    (ख) समाज की सुख-संपन्नता जनसंख्या पर निर्भर करती है क्योंकि अधिक जनसंख्या संसाधनों, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा पर दबाव डालती है। सीमित संसाधनों के अधिक उपभोग से जीवन स्तर गिरता है, जबकि नियंत्रित जनसंख्या से संतुलित विकास, बेहतर जीवन गुणवत्ता और समृद्धि सुनिश्चित होती है। इसलिए, जनसंख्या प्रबंधन समाज की सुख-संपन्नता के लिए महत्वपूर्ण है।
    (ग) भारतीय जनसंख्या की तुलना ऑस्ट्रेलिया से इसलिए की जाती है क्योंकि भारत की जनसंख्या में प्रतिवर्ष एक ऑस्ट्रेलिया के बराबर की जनसंख्या जुड़ती चली जा रही है। अतः भारत की जनसंख्या की वृद्धि की तीव्रता को बताने के लिए इसकी तुलना आस्ट्रेलिया से की गई है।
    (घ) भारत में जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे महानगरों में अस्वास्थ्यकर स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं। संसाधनों की कमी और बच्चों की बढ़ती संख्या समाज की सुख-संपन्नता के लिए चुनौती है। भारतीय समाज, संतान को वरदान मानकर, जनसंख्या वृद्धि का कारण बन रहा है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं हुआ, तो भविष्य में स्थिति और भी विकट हो जाएगी।
    (ङ) इस अनुच्छेद का उचित शीर्षक- ‘भारतीय जनसंख्या वृद्धि: एक विकट समस्या’
    (च) निम्नलिखित शब्दों के अर्थ:
    शब्द अर्थ
    विकट कठिन
    चुनौती ललकार, विरोध करना
    अनायास एकाएक, अचानक
    अधिकार प्रभुत्व, हक़
    प्रयोजन उद्देश्य
    (छ) निम्नलिखित शब्दों से उचित उपसर्ग और प्रत्यय अलग कीजिए-
    शब्द उपसर्ग प्रत्यय
    अस्वास्थ्यकर अ कर
    भारतीय – ईय
    प्रतिवर्ष प्रति –
    प्रयोजन प्र –

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