NIOS Class 10 Hindi Chapter 6 कोलंबिया मिशन के लिए वैज्ञानिकों का चुनाव हो रहा था, तब 2962 प्रतियोगियों में उन्हें सर्वाधिक योग्य पाया गया और उस मिशन का विशेषज्ञ बनाया गया। इसके लिए कल्पना ने कठोर प्रशिक्षण लिया और 19 ...
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NIOS Class 10 Hindi Chapter 5 यदि मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड एक होकर कार्य न करतीं, तो गरीब और असहाय लोगों को सबसे अधिक हानि होती। मदर टेरेसा ने अपनी जीवनभर की सेवा में उन लोगों के प्रति करुणा और ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 5, रॉबर्ट नर्सिंग होम में ‘रॉबर्ट नर्सिंग होम’ पाठ से हम निस्वार्थ सेवा और मानवता के प्रति करुणा की प्रेरणा ले सकते हैं। मदर टेरेसा और मदर मार्गरेट जैसे व्यक्तियों ने जाति, ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 5 रॉबर्ट नर्सिंग होम में मैं इस विचार से सहमत हूँ कि ‘फ़ोटो किसी बात को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है।’ तस्वीरें तात्कालिकता और भावनाओं को संप्रेषित करने की क्षमता रखती हैं, जो शब्दों ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 5 मदर मार्गरेट का जादू उस ममता और सेवा भावना को कहा गया है, जो वह रोगियों के जीवन में आशा और खुशी का संचार करती हैं। लेखक ने उन्हें “जादू की पुड़िया” के रूप में ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 5, रॉबर्ट नर्सिंग होम में लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद जाति, धर्म और वर्ग की दीवारों के बारे में सोचता रहा। ये दीवारें समाज में भेदभाव और अलगाव को जन्म ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 5 रॉबर्ट नर्सिंग होम में रॉबर्ट नर्सिंग होम के डॉक्टर ने कहा, “मदर तुम हँसी बिखेरती जो हो,” का आशय यह है कि मदर टेरेसा की उपस्थिति से रोगियों के जीवन में खुशी और आशा का ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 5 रॉबर्ट नर्सिंग होम में जाना लेखक के लिए इसलिए यादगार बन गया क्योंकि वह कल तक जिनका अतिथि था, आज उनका परिचारक बन गया। उनकी आतिथेय अचानक बीमार हो गईं, जिससे लेखक को उन्हें नर्सिंग ...
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 5, रॉबर्ट नर्सिंग होम में पाठ की भाषा-शैली में “भावुकतापूर्ण उद्गार” विशेषता नहीं मिलती। लेखक की शैली चित्रात्मक, सरल और सहज है, जिसमें हिंदी के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग ...
NIOS Class 10 Hindi Chapter 5 रॉबर्ट नर्सिंग होम में मदर मार्गरेट ने चीखते-तड़पते रोगी को ‘कुछ नहीं, कुछ नहीं’ कहा क्योंकि वह रोगी की पीड़ा को कम करने और उसे सांत्वना देने का प्रयास कर रही थीं। उनका उद्देश्य था ...