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Ganpati

NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 सार लेखन गद्यांश का सार यह है कि एक राष्ट्र की मानसिक संपत्ति, विशेषकर उसके बालक-बालिकाएँ, उसकी सबसे मूल्यवान धरोहर हैं। जो राष्ट्र अपनी मानसिक संपत्ति की रक्षा और उन्नति के लिए प्रयास करता है, ...

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निम्नलिखित अंश का सार-लेखन एक तिहाई शब्दों में कीजिएः आज की भारतीय शिक्षित नारी को अच्छी गृहिणी के रूप में न देख पाना पुरुषों की एकांगी दृष्टि का परिणाम है। विवाह के बाद उसकी बदली हुई मनःस्थिति तथा परिस्थितियों की कठिनाइयों पर ध्यान नहीं दिया जाता। उसकी रुचियों और भावनाओं की उपेक्षा की जाती है। पुरुष यदि अपने सुख के लिए पत्नी के सुख का धयान रखे, तो वह अच्छी गृहिणी हो सकती है। पत्नी और पति का कर्तव्य है कि वे एक दूसरे के कार्य में हाथ बटाएँ और एक-दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और रुचियों का धयान रखें। आखि़र नारी भी तो मनुष्य है। उसकी अपनी ज़रूरतें भी हैं और वह भी परिवार में, पड़ोस में तथा समाज में सम्मान पाना चाहती है। यदि नारी त्याग की मूर्ति है, तो पुरुष को बलिदानी होना चाहिए।

NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 गद्यांश का सार यह है कि आज की भारतीय शिक्षित नारी को एक अच्छी गृहिणी के रूप में नहीं देखा जाता, जिसका कारण पुरुषों की संकीर्ण दृष्टि है। विवाह के बाद उसकी भावनाओं और इच्छाओं ...

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निम्नलिखित अंश का सार-लेखन एक तिहाई शब्दों में कीजिएः सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान का हाथ रहता है। धर्म ने मनुष्य के मन में सुधाार किया है और विज्ञान ने संस्कृति को जीता है। धर्म हमारे मन को बल देता है और सत्य, अहिंसा, परोपकार, संयम आदि सभी अच्छे गुण धर्म के कारण हैं। धर्म हृदय में पैदा होता है। विज्ञान प्रकृति को जीतता है जबकि धर्म सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि से मन को जीतता है। इसीलिए यदि धर्म और विज्ञान मिलकर काम करें, तो वह दिन दूर नहीं, जब हम केवल राज्यों और देशों से अपने को जोड़ने की संकुचित प्रवृत्ति को छोड़ देंगे और समस्त संसार को अपना समझने लगेंगे।

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 11, सार लेखन गद्यांश का सार यह है कि धर्म और विज्ञान दोनों सभ्यता और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धर्म मनुष्य के भीतर सुधार लाता है, जबकि विज्ञान ...

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नीचे दिए गए गद्यांश और उनके सार को ध्यानपूर्वक पढि़ए। गद्यांश का सार लिखते हुए जिन चरणों का उल्लेख किया गया है, वे यहाँ नहीं है। आप इ गद्यांश के सार-लेखन के चरणों को यहाँ लिखिएः हमारे देश में अशिक्षित प्रौढ़ों की संख्या करोड़ों में है। यदि हम किसी प्रकार इनके मानस-मंदिरों में शिक्षा की ज्योति जगा सकें, तो सबसे महान धार्म और सबसे पवित्र कर्तव्य का पालन होगा। रेलगाड़ी और बिजली की बत्ती से भी अपरिचित लोगों का होना हमारी प्रगति पर कलंक है। प्रौढ़-शिक्षा योजना इनको प्रबुद्ध नागरिक बनाने की दिशा में क्रियाशील है। इस योजना से गाँवों में एक सीमा तक आत्मनिर्भरता आएगी। हर बात के लिए शहरों की ओर ताकने की प्रवृत्ति समाप्त होगी। निरर्थक रूढि़यों और अंधविश्वासों में फँसे हुए और अपनी गाढ़े पसीने की कमाई को नगरों की भेंट चढ़ाने वाले ये हमारे भाई प्रौढ़ शिक्षा से निश्चित ही सचेत और विवेकी बनेंगे। स्वास्थ्य, सफ़ाई, उन्नति, कृषि तथा आपसी सद्भावना के प्रति प्रौढ़ शिक्षा इनको जागरूक बना सकती है। इससे इनकी मेहनत की कमाई डॉक्टरों की जेबों में जाने से और कचहरियों में लुटने से बचेगी। सबसे बड़ा लाभ तो प्रौढ़ शिक्षा द्वारा यह होगा कि करोड़ों लोग नए ढंग से देखने, सुनने और समझने के साथ-साथ अच्छा आचरण करने में समर्थ होंगे। हमारे करोड़ों देशवासी आज भी अशिक्षित और पिछड़े हुए हैं। सारे संसार के सामने हम इस कलंक को सिर झुकाए सह रहे हैं। भारत की उन्नति चंद नगरों को जगमग कर देने से नहीं होगी, उसकी सच्ची उन्नति का पैमाना तो यही ग्राम-समुदाय है जिसकी पढ़ने की आयु निकल चुकी, जो स्वयं पढ़ने के महत्त्व से अपरिचित हैं, जिसका तन-मन-धन नगरीय सभ्यता शताब्दियों से लूटती चली आ रही है। ऐसे अज्ञान और अशिक्षा के अंधकार में जीवन बिताने वाले करोड़ों भाइयों-बहनों के प्रति यदि हम आज सचेत और उत्तरदायी बनने की बात सोच रहे हैं, तो देश का बड़ा सौभाग्य है।

NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 सार लेखन गद्यांश का मूल भाव यह है कि हमारे देश में करोड़ों अशिक्षित प्रौढ़ों की संख्या है, जिनकी शिक्षा की ज्योति जलाना सबसे पवित्र कर्तव्य है। प्रौढ़-शिक्षा योजना से इन लोगों को जागरूक और ...

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नीचे दिए गए गद्यांश और उनके सार को ध्यानपूर्वक पढि़ए। गद्यांश का सार लिखते हुए जिन चरणों का उल्लेख किया गया है, वे यहाँ नहीं है। आप इस गद्यांश के सार-लेखन के चरणों को यहाँ लिखिएः गद्यांश -1 कहा जाता है कि मानव का आरंभिक जीवन अधिक लचीला और प्रशिक्षण के लिए विशेषकर अनुकूल होता है। यदि माता-पिता, अध्यापक और सरकार – तीनों मिलकर प्रयास करें, तो वे बालक को जैसा चाहें, वैसा वातावरण देकर उसकी जीवन-दिशा कानिर्धारण कर सकते हैं। जीवन का यह समय मिट्टी के उस कच्चे घड़े के समान होता है, जिसके विकारों को मनचाहे ढंग से ठीक किया जा सकता है। लेकिन जिस तरह पके हुए घड़ों में पाए जाने वाले दोषों में सुधार करना असंभव है, उसी तरह यौवन की दहलीज़ को पार कर बीस-पच्चीस वर्ष के युवक के अंदर आमूल परिवर्तन लाना यदि असंभव नहीं, तो कठिन अवश्य है। कच्ची मिट्टी किसी भी साँचे में ढालकर किसी भी नए रूप में बदली जा सकती है, लेकिन जब वह एक बार, एक प्रकार की बन गयी, तब उसमें परिवर्तन लाने का प्रयास बहुत ही कम सफल हो पाता है। किसी लड़के या लड़की के व्यक्तित्व के निर्माण का मुख्य उत्तरदायित्व हमारे समाज, हमारी सरकार और स्वयं माता-पिता पर है तथा बहुत कुछ स्वयं लड़के या लड़की पर भी। कोई भी व्यक्ति अपने ध्येय में तभी सफल हो सकता है, जब वह अपने जीवन के आरंभिक दिनों में भी वैसा करने का प्रयास करे। इस दृष्टि से विद्याध्ययन का समय ही मानव-जीवन के लिए विशेष महत्त्व रखता है। हम सभी का और स्वयं विद्यार्थियों का भी यही कर्तव्य है कि सभी इस तथ्य को हमेशा अपने सामने रखें। मूल भाव………………………………………………………………………………………………………………… संबंधित बिंदु………………………………………………………………………………………………………….. क्रम………………………………………………………………………………………………………………………… अनावश्यक सामग्री…………………………………………………………………………………………………. (व्याख्या, दोहराव आदि)

NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 गद्यांश का मूल भाव यह है कि मानव जीवन का प्रारंभिक समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान बालक का मानसिक, शारीरिक और नैतिक विकास संभव होता है। माता-पिता, शिक्षक और सरकार को मिलकर ...